“मरीजों को इंसान नहीं, ATM समझते हैं निजी अस्पताल” — इलाहाबाद HC का तीखा बयान
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| ⚖️ कोर्ट | इलाहाबाद हाईकोर्ट |
| 👩⚕️ मुद्दा | गर्भवती महिला की सर्जरी में देरी, भ्रूण की मौत |
| 🧑⚖️ याचिकाकर्ता | डॉक्टर (राहत की मांग के साथ कोर्ट पहुँचे) |
| 📅 तारीख | 18 जुलाई 2025 (सुनवाई और टिप्पणी की तारीख) |
| 💬 कोर्ट की टिप्पणी | “मरीजों को ATM समझते हैं, मकसद सिर्फ पैसे कमाना है” |
| 🛑 निर्णय | डॉक्टर की याचिका खारिज |
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“अगर कोर्ट को भी अब निजी अस्पतालों के लालच पर टिप्पणी करनी पड़ रही है, तो सोचिए आम जनता को कितनी परेशानी होती होगी। इलाज अब सेवा नहीं, सौदा बन गया है।”
⚠️ DISCLAIMER:
यह खबर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई और संबंधित याचिका पर आधारित है। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना और जागरूकता फैलाना है। कृपया अफवाहों से बचें और अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक कोर्ट आदेश या रिपोर्ट्स देखें।



