सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, शशि थरूर जैसे दिग्गजों को डिबेट से बाहर रखकर कांग्रेस ने नए चेहरों को दिया मौका
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| खबर की तारीख और स्रोत | 30 जुलाई 2025, स्रोत: The Indian Express |
| खबर का मुख्य विषय | ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में हो रही बहस के लिए कांग्रेस द्वारा अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं को वक्ता के रूप में शामिल न करना |
| किन नेताओं को शामिल नहीं किया गया | शशि थरूर, मनीष तिवारी, अमर सिंह (MPs), सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा (पूर्व मंत्री, लेकिन वर्तमान में सांसद नहीं हैं) |
| कांग्रेस का तर्क | जिन नेताओं ने पहले विदेशी दौरों में सरकार का पक्ष रखा, उन्हें अब विपक्ष की भूमिका में बोलने से रोका गया है ताकि पार्टी की लाइन स्पष्ट बनी रहे |
| शशि थरूर की स्थिति | उन्होंने बहस में भाग लेने से इनकार किया और कहा कि वे Indian Ports Bill, 2025 पर बोलना चाहते हैं ताकि उनकी पहले ली गई लाइन से टकराव न हो |
| मनीष तिवारी का रुख | उन्होंने पार्टी को पत्र लिखकर बहस में हिस्सा लेने की इच्छा जताई, लेकिन पार्टी ने उन्हें भी मंच नहीं दिया |
| पार्टी द्वारा उठाया कदम | नए सांसदों को मौका देकर, पार्टी ने ‘नई आवाज़’ को संसद में लाने की कोशिश की, ताकि विपक्ष की बात दमदारी से रखी जा सके |
| विश्लेषण | इससे यह संदेश भी गया कि पार्टी अंदरूनी संतुलन और विचारधारात्मक स्पष्टता बनाए रखना चाहती है, भले ही इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन करना पड़े |
🧠 Public Opinion
“कांग्रेस के इस कदम को लेकर मिश्रित राय है। कुछ लोग इसे नई पीढ़ी को मौका देने वाला कदम मान रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि पार्टी ने अपने अनुभवी और प्रभावशाली नेताओं को चुप कराकर अपनी आवाज़ कमजोर की है।”
क्या शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे वक्ताओं की अनुपस्थिति से कांग्रेस को नुक़सान होगा? जनता के मन में यही सवाल है।
⚠️ Disclaimer
यह लेख सार्वजनिक स्रोतों, राजनीतिक बयानों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसका उद्देश्य निष्पक्ष सूचना देना है, न कि किसी दल या व्यक्ति विशेष के पक्ष या विपक्ष में राय बनाना।



